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.बरेली शहर का चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत नाम है . येहाँ आये दिन चिकित्सा क्षेत्र की नयी से नयी विधाओं का पदार्पण हो रहा है , मेडिकल कॉलेज से लेकर आधुनिक चिकित सुविधाओं से युक्त ये शहर मेडिकल हब के रूप में जाना जाता है
किन्तु विगत कुच्छ वर्षों में इस पेशे में आई गिरावट का भी जिक्र करना अब जरूरी हो गया है .
मान लीजिये आप नैनीताल जा रहे हैं और दुर्भाग्यवश आपकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो जाये , तो आप बिलकुल चिंता न करें क्यूंकि वहां आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर हाथ आपको उठाएंगे , अम्बुलेंस
में लादेंगे और तुरंत पहुंचाएंगे सकुशल हाथों में , और वो शकुशल हाथ न आपको बहेड़ी के सरकारी स्वास्थ केंद्र पर मिलेंगे, न अत्याधुनिक रामुर्ती हॉस्पिटल में आना रास्ते में पड़ने वाले किसी भी
अन्य अस्पताल में , वे कुशल हाथ तो केवल रामपुर गार्डेन के दो अस्पतालों में ही रहते हैं, यदि आपकी किस्मत अच्छी है है और गंभीर अवस्था में भी आप बहेड़ी से रामपुर गार्डेन तक का सफ़र तय कर
आये तो निश्चित जाने की आपको यमराज भी हाथ नहीं लगा सकते .:)
ये बात और है की डॉ. देखने के बाद ये कह दे की काश आप थोड़ी देर पाहिले आ जाते अब देर हो चुकी है 🙂
अब नया ज़माना है दलालों और झोला चाप का नहीं , दलाली बहुत हो चुकी अब तो hiteck डकैती का जमाना है भाई .सेवा की सेवा माल का माल 🙂
झोलाछाप के हाथों भी मरीज के पास एक अवसर होता था अपनी इच्छा रखने का , येहाँ तो मरीज की कोई इच्छा ही नहीं है सब सेवादारों के अधिकार क्षेत्र में है , पुलिस सामने कड़ी हो डंडा लेकर , मजाल की कोई बोले ??
एक बहुत ही मजेदार किस्सा याद आ गया भाई, एक मरीज जो मेरे पास admit था उसका लड़का उसे देख कर घर जा रहा था , फतेगंज में उसका भी एक्सिडेंट हो गया , बिचारा चिल्लाता रहा की मुझे डॉ. सत्येन्द्र के पास पहुंचा दो लेकिन सेवादार को सुनाई देता हो तब न , पहुंचा दिया रामपुर गार्डेन 🙂 बिचारा पिता इधर भारती लड़का उधर हो गयी ख्वारी बिचारे के , जैसे तैसे जान छुड़ा कर अगले दिन दोपहर बाद लौटा तो चेहरे पर ऐसी चमक थी की जैसे अपहरणकर्ताओं के चुंगल से छोटा हो.
मेरे बगल में गरीब लोग murtyian बनाने का काम करतें शायद ,सड़क पर एक्सिडेंट हुआ कुदेसिया फाटक के पास , सेवादारों ने पहुंचा दिय्सा रामपुर गार्डेन ,मुझे तो तब पता चला जब ६ मह्हेने बाद दुबारा उसका ऑपरेशन मेरे द्वारा हुआ,
बहुत साड़ी घटनाएं हैं कहाँ तक गिनाऊं और चिकिस्त्सकों के भी अनुभव लिए जा सकते हैं , वर्तमान में ऐसा ही कुछ प्रदीप मिश्र जी कांग्रेस के एक नेता हैं उनके साथ भी हुआ , एक्सिडेंट सजय्नगर में हुआ , सेवादारों को निकटतम केश्लाता से लेकर महाजन सर्वोदय , प्रकाश कोई भी अस्पताल नहीं दिखा , पहुन्चादिया रामपुर गार्डेन,सेवा के साथ कुछ मेवा भी हो तो सेवा भाव दिन्दूना रात चौगुना बढ़ता है न 🙂
बिचारे तीन दिन बाद जान छुड़ा कर आये , पूरे चेहरे पर पट्टी बंधी हुई थी लगता है मरने ही वाले हैं . खोल कर देखा तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया 🙂
urban cooperative बैंक में प्रेम बाबू जी काम करते हैं ,फतेहगंज पर एक्सिडेंट हुआ , सेवादार हाजिर, वो तो भला हो की पूर्व सांसद संतोष जी ने फ़ोन कर अम्बुलेंस वाले को डांट दिया और वो डर के मारे इधर आ गया , नहीं तो हो गयी थी सेवा
कहने का तात्पर्य ये है की , सेवा के नाम पर मरीजों की डकैती का ये धंधा प्रशाशन की नाक के नीचे चल रहा है, चिकित्सकों ने भी कई बार सम्बंधित अधिकारियों से शिकायत की है , जनप्रतिनिधियों ने भी इस
मुद्दे को जोर शोर से उठाया था यहाँ तक की सत्ता रूढ़ दल के एक मंत्री ने तो स्पष्ट आदेश भी किया था की ये अवैध अम्बुलेंस बंद कर , इन्जुरेड मरीजों को जिला अस्पताल या फिर उनकी इछ्नुसार अस्पताल में पहुँचाया जाये, सर्वप्रथम तो उनकी निकटवर्ती अस्पताल में ही भारती की जाए जिससे की जन हानि कम से कम हो .
समाचार पत्रों के माध्यम से भी इस मुद्दे को बार बार उठाने के पश्चात भी ये सेवा भाव अवैध रूप से चल रहा है, और इसकी आड़ में चल रही मोती काली अवैध कमाई से जिले का हर व्यक्ति परिचित है फिर प्रशाशन इस तरफ से आँख मूँद कर क्यूँ बैठा हुआ है????????????????????????
क्या कोई जबाब देगा?
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